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नव वर्ष मंगलमय रहे

अंतर्नाद
अंतर्नाद
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नव वर्ष मंगलमय रहे


नव वर्ष मंगलमय रहे, नव हर्ष मंगलमय रहे

नव शक्ति, नव संकल्प का उत्कर्ष मंगलमय रहे |


नव पुष्प, नव पल्लव हरे, नव स्वप्न नयनों में भरे

नव सृष्टि, नव संसृष्टि का आकर्ष मंगलमय रहे |


हर मार्ग में काँटा बिछा, पर धूप-छाया हर दिशा,

जीवन के हर पग पे सदा संघर्ष मंगलमय रहे |


उद्भावना हो नेह की, संभावना हो ज्योति की

जल-दीप-सा तिरकर बुझा अपकर्ष मंगलमय रहे |


—  संतलाल करुण

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