Menu
blogid : 12407 postid : 669036

भारत में समलैंगिकता और उससे जुड़ी चार दिक्कतें

अंतर्नाद
अंतर्नाद
  • 64 Posts
  • 1122 Comments

भारत में समलैंगिकता और उससे जुड़ी चार दिक्कतें


पहली दिक्कततो यह है कि पश्चिम में बड़े-बड़े फिल्मकारों, नामी-गिरामी गायक-गायिकाओं, विश्वप्रसिद्ध खिलाड़ियों, नामचीन शासकों-प्रशासकों, विख्यात पत्रकारों-साहित्यकारों आदि तक को समलैंगिकता की आदत पड़ चुकी है और वहाँ की आम युवा पीढ़ी समलैंगिकता के फ़ैशन के गिरफ़्त में बड़ी तेज़ी से आती जा रही है | आज-कल त्वरित मीडिया के चलते दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इस फ़ैशन का चलन तेज़ी बढ़ रहा है | यही कारण है कि आदिम युग से जन्मी, किन्तु समाज द्वारा त्याज्य और छिप-दबे, अपवाद रूप में प्रचलित समलैंगिकता आज हमारे देश में भी अपना अधिकार माँगने की स्थिति में आ गई है | इंटरनेट का करामात है कि हमें-आप को यह पता नहीं कि हमारे आस-पास के कौन-कौन लोग समलैंगिकता को पसंद करते हैं | समस्या को हम जिताना आँक रहे हैं वह फिल्मों, टीवी, कम्प्यूटर, लैपटॉप, नोटपैड, मोबाइल आदि के चलते उससे कई गुना अधिक गंभीर है |


दूसरी दिक्कत यह कि समलैंगिकता की गिरफ़्त में महिलाएँ भी हैं | पश्चिम के दम्पतियों में जननागों के सहज सम्मेल से हटकर अनेक अनर्गल दुष्प्रयोग अपनाने का रिवाज-सा हो गया है | वहाँ की नारियाँ भी ऐसी अजीबोग़रीब हैं कि इस सब में बढ़-चढ़कर पुरुषों का साथ देती हैं | वहाँ तब भी तृप्ति संतोष नहीं मानती | तलाक और विवाह का सिलसिला उनके जीवन में बुढ़ापे तक नहीं थमता | ‘एक्स’-पति-पत्नियों की फ़ेहरिस्त लम्बी होती जाती है | साथ ही विवाह पूर्व या अविवाहित रहकर शारीरिक सम्बन्धों का अनगिनत सिलसिला उनकी लैंगिकता-समलैंगिकता का पूर्वार्द्ध होता है | कुत्सित स्त्री-पुरुष यौनिक असंतोष की कुंठा में नन्हें मासूम बच्चों तक को शिकार बनाते हैं |


तीसरी दिक्कत यह कि समलैंगिकता में केवल समलैंगिकता ही नहीं है; समलिंगी दुष्प्रयोगियों की अतृप्त वासना पशुओं को भी नहीं छोड़ती | पश्चिम ने त्याग-भोग का संतुलन न साध कर सिर्फ़ भोग और भोग की राह पकड़ी हुई है तथा वे अपने-जैसा सारी दुनिया को बनाना चाहते हैं | आंगिक रूप से अक्षम किन्नरों की बात महज़ एक बहाना है | इस बहाने से समलिंगी अपने सारे कुकर्मों को मान्यता दिलाना चाहते हैं | किन्नर अगर शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें समाज की सेवा का कार्य अपनाना चाहिए | नृत्य, गायन-वादन आदि कलाओं की साधना भारत में उनकी परम्परा रही है |


चौथी दिक्कत यह कि समलिंगियों की सीमाएँ केवल दैहिक जननागों तक सीमित नहीं रहतीं | वे और उनके बाज़ारू पार्टनर उनके लिए तमाम भौतिक इंस्ट्रूमेंट बाज़ार में उतार चुके हैं | सस्ते-मँहगे दामों में देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ऐसे इंस्ट्रूमेंट की बिक्री बढ़ रही है | सेक्स मानव-जीवन का ऐसा संवेदनशील विषय है कि जिज्ञासावश आम नागरिक भी भौतिक इंस्ट्रूमेंट, ड्रग्स तथा रसायनों के चक्कर में तेज़ी से फँस रहा है | प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में निर्लज्ज,वयस्कों के लिए दर्शनीय, किन्तु बाल-वृद्ध, सब की निगाहों को बेहयाई से परोसे गए विज्ञापनों की बाढ़-सी आई हुई है |


और ये चारों दिक्कतें आज हमारे यहाँ हज़ारों हज़ार दिक्कतें पैदा कर रहीं हैं, जिनमें सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि पश्चिमी झोंके से चली इन सारी दिक्कतों का सामना आज भारत-जैसे नैतिक मान्यताओं वाले देश को भी करना पड़ रहा है | क्योंकि अब पश्चिम की तर्ज़ पर हमारे देश की ख्याति में सितारों की तरह चमकते फिल्मकारों, गायक-गायिकाओं, खिलाड़ियों, शासकों-प्रशासकों, साहित्यकारों, पत्रकारों आदि में भी समलैंगिकता की आदत बढ़ रही है | देश के बच्चे, नौजवान-नवयुतियाँ, वयस्क और बुजुर्ग यदि उन्हें मॉडल मानते हैं, तो आज के समाज पर चाल-चलन का असर भी तो उन्हीं का होना है |


— संतलाल करुण

Read Comments

    Post a comment